By: Akanksha Shrivastava
Publisher Aadhya Publishing House
In this series I am going to simplify learning of Shiv tandav stotra by explaining the meaning of each shlok one by one. I personally feel that if we know the meaning of any shlok then learning and remembering that shlok can be done in a very easy way.
Shiv tandav’s Stotra is a devotional Hymn Dedicated to Lord Shiva. This Stotra is composed by Lord Shiv’s Greatest devotee And a great scholar Ravan. This Stotra beautiful describe lord Shiv's dance and the cosmic effects of tandav and his attributes.
Ravan the king of Lanka was the biggest devotee and a great scholar who has done great asceticism to make Lord Shiv happy. He wrote the stotra in typical sanskrit language and it consists of 18 shlokas.
हिंदी अनुवाद
शिव तांडव स्तोत्र भगवान शिव को समर्पित एक भक्तिपूर्ण स्तुति है। यह स्तोत्र भगवान शिव के सबसे महान भक्त और महान विद्वान रावण द्वारा रचित है। इस स्तोत्र में भगवान शिव के तांडव नृत्य और इसके ब्रह्मांडीय प्रभावों के साथ-साथ उनके गुणों का सुंदर वर्णन किया गया है।
लंका के राजा रावण भगवान शिव के सबसे बड़े भक्त और महान तपस्वी थे, जिन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए गहन तपस्या की। उन्होंने यह स्तोत्र संस्कृत की विशिष्ट शैली में लिखा, जिसमें 18 श्लोक शामिल हैं।
यह स्तुति भगवान शिव की दिव्य शक्ति और गुणों, उनकी सुंदरता, आकर्षण, नृत्य और उनके सृष्टि के निर्माता और विनाशक के रूप में भूमिका की प्रशंसा करती है।
यह माना जाता है कि इस मंत्र का जाप शिव की कृपा को आकर्षित करता है, लेकिन अध्ययनों से यह भी पता चला है कि इस स्तोत्र का उच्चारण मानसिक शांति प्रदान करता है और बाधाओं को दूर करता है।
यह स्तोत्र केवल महान रावण की रचना नहीं है, बल्कि यह वास्तव में एक दिव्य आनंद की स्तुति है। यह भगवान शिव की भव्यता, ऊर्जा और दिव्यता को समाहित करता है और आत्मा को भगवान शिव के दिव्य सार से जोड़ने के लिए एक शक्तिशाली माध्यम है।
This hymn praises Lord Shiv’s divine power and attributes, his beauty, his charisma, his dance, and his role of being the father or creator of the world and also the destroyer of the world.
It is always believed that chanting this mantra would invoke shiv’s blessings but in studies it is shown that chanting this stotra not only gives mental peace but also removes obstacles.
This stotra is not just a creation of legendary Ravan but it’s is truly a hymn of devine ecstasy. It encapsulates the grandeur , energy and magnificence of Bhagwan Shiv and is a powerful tool for the upliftment of the soul to get connected with Lord Shiv’s divine essence.
ORIGIN OF SHIV TANDAV STOTRA
Ravan, The king of Lanka composed this magical hymn in the state of great and intense devotion after he made an attempt to lift mount Kailash, the abode of Lord Shiv, to showcase his power. But to humble him Lord Shiv pressed his toe and pinned the mountain down, trapping Ravan. Later King Ravan composed this stotra as an ode to Lord Shiv’s unparalleled beauty, power and fierce.
The composition is in a very simple rhythmic structure and this rhythmic structure is called PANCH-CHAAMARAM. In this meter, there is just 8 repetition of short syllable followed by long syllable. The words chosen by the great scholar Ravan for the composition of this divine hymn is immensely typical that recitation itself gives you a feel of cosmic dance of Lord Shiv.
The extreme power of king Ravan worshipping can be seen or felt in the stotra. But it is often seen that while singing or learning the stotra’s words (shabdalankar) we miss the connect with the accurate meaning (arthalankar).
So I am trying to define the exact meaning and way to learn the shlok in a different approach so that it could be easy for you all to learn the stotra.
शिव तांडव स्तोत्र की उत्पत्ति
लंका के राजा रावण ने इस अद्भुत स्तुति की रचना अत्यधिक और गहन भक्ति की अवस्था में की थी। उन्होंने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया। भगवान शिव ने उन्हें विनम्र करने के लिए अपने अंगूठे से पर्वत को दबाया और रावण को फंसा दिया। इसके बाद, राजा रावण ने भगवान शिव की अनुपम सुंदरता, शक्ति और उग्रता के प्रति समर्पण स्वरूप इस स्तोत्र की रचना की।
यह रचना बहुत ही सरल छंदबद्ध संरचना में की गई है, जिसे "पंचचामरम" कहा जाता है। इस छंद में केवल 8 बार छोटे वर्णों के बाद लंबे वर्णों की पुनरावृत्ति होती है। महान विद्वान रावण द्वारा चुने गए शब्द इस दिव्य स्तुति के लिए अत्यंत विशिष्ट हैं, और इनका उच्चारण स्वयं में भगवान शिव के ब्रह्मांडीय नृत्य का अनुभव प्रदान करता है।
राजा रावण की भक्ति की अत्यधिक शक्ति इस स्तोत्र में देखी या महसूस की जा सकती है। लेकिन अक्सर यह देखा गया है कि स्तोत्र के शब्दों (शब्दालंकार) का पाठ करते समय या इसे सीखते समय हम इसके सही अर्थ (अर्थालंकार) से जुड़ने से चूक जाते हैं।
इसलिए, मैं इस स्तोत्र के सटीक अर्थ और इसे सीखने के तरीके को एक अलग दृष्टिकोण से परिभाषित करने का प्रयास कर रही हूं, ताकि इसे सीखना आप सभी के लिए आसान हो सके।
First shlok/पहला श्लोक :
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्
ड्डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्
Jatatavigalajjala pravahapavitasthale
Galeavalambya lambitam bhujangatungamalikam
Damad damad damaddamaninadavadamarvayam
Chakara chandtandavam
Tanotu nah shivah shivam
In this shlok the first thing which you need to remember is:
चकार चण्डताण्डवं
Chakara chandtandavam
Meaning – Shiv has performed (as chakar is the past tense verb) a wild and ferocious dance
अर्थ- "चकार" (भूतकाल की क्रिया) का अर्थ है - शिव ने एक उग्र और भयंकर नृत्य किया।
Now you need to remember where he has performed ?
अब यह समझें कि उन्होंने कहाँ नृत्य किया?
स्थले
sthale
Meaning - a place
अर्थ: एक स्थान।
Now , what kind of a place?
अब, वह स्थान कैसा था?
जलप्रवाहपावितस्थले
Jala pravahapavitasthale
Meaning- A place which is purified by flow water.
अर्थ: वह स्थान जो पानी के प्रवाह से शुद्ध था।
Now from where that flow came?
अब वह पानी कहाँ से आया?
जटाटवीगलज्जल
Jatatavigalajjala
Meaning – water which is flowing fiercely from the forest like matted hair of lord shiv.
अर्थ: पानी जो भगवान शिव की जटा से तीव्रता से बह रहा था।
This was the meaning of first line that is:
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
Jatatavigalajjala pravahapavitasthale
Now we move further by keeping one meaning in mind that , here the main thing is Lord Shiv has performed a ferocious and wild dance.
पहली पंक्ति का संपूर्ण अर्थ:
"भगवान शिव ने उस स्थान पर नृत्य किया, जो उनकी जटाओं से बहते जल के प्रवाह से शुद्ध था।"
Now how did he perform?
अब आगे बढ़ते हैं।
भगवान शिव ने नृत्य कैसे किया?
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्
Galeavalambya lambitam bhujangatungamalikam
Meaning – with the elongated garland of snake surrounding his neck lord shiv performed the dance.
अर्थ: अपनी गर्दन के चारों ओर फैले हुए सर्पों की लंबी माला के साथ।
Now again with what lord shiv performed the fierce dance?
फिर, भगवान शिव ने किसके साथ यह उग्र नृत्य किया?
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
Damad damad damaddama ninadavadamarvayam
Meaning – by striking the damru having the sound damad damad damad damad in a repeated fashion.
अर्थ: डमरू की ध्वनि "डमड डमड" की पुनरावृत्ति के साथ।
And last
तनोतु नः शिवः शिवम्
Tanotu nah shivah shivam
Meaning – may this form of shiv surround us with auspiciousness
अंत में:
अर्थ: "भगवान शिव का यह रूप हमें शुभता से घेर ले।"
So the complete meaning be like:
"Lord Shiv performed a ferocious and wild dance in a place purified by the flow of water flowing from his forest like matted hair, with the elongated garland of snakes surrounded his neck by striking his hand to produce a repeated sound of damru, may this form of shiv surround us with auspiciousness"
संपूर्ण श्लोक का अर्थ
"भगवान शिव ने अपनी जटाओं से बहते जल के प्रवाह से शुद्ध स्थान पर, अपनी गर्दन में फैली सर्पों की लंबी माला के साथ, डमरू की लगातार गूंजती ध्वनि के साथ एक भयंकर और उग्र नृत्य किया। भगवान शिव का यह रूप हमें शुभता से घेर ले।"
Nice and detailed.........
Har Har Mahadev
Beautiful ❤️ Om namah shivay 🙏🏻
Wow.. har har mahadev 🙏🙏
Loved reading it.. kudos